चक्रवर्ती सम्राट अशोक

By ku.pawan singh sisodiya - सितंबर 24, 2020

 चक्रवर्ती सम्राट अशोक

>> एक परिचय <<

चक्रवर्ती सम्राट अशोक


नाम                :     अशोक बिंदुसार मौर्य
 
जन्म तिथि      :     304 ईसा पूर्व (संभावित)
 
जन्मस्थान      :     पाटलिपुत्र (पटना)
 
राज्याभिषेक   :     270 ईसा पूर्व
 
शासनावधि     :     269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व
 
मृत्यु                :      232 ईसा पूर्व
 
मृत्यु स्थान      :      पाटलिपुत्र, पटना
 
शिक्षक            :    आचार्य चाणक्य 
 
माता               :     महारानी धर्मा, शुभद्रांगी
 
पिता               :     राजा बिंदुसार   

 धर्म                 :      सनातन धर्म  

 पत्नी               :      रानी पद्मावती, तिश्यारक्षा, महारानी देवी, करुवकी 

 बच्चे                :     कुणाल, महिंदा, संघमित्रा, जालुक, चारुमति, तिवाला 

 वंश                 :     मौर्य 


जन्म 

चक्रवर्ती अशोक सम्राट बिन्दुसार तथा रानी धर्मा का पुत्र था। लंका की परम्परा में बिंदुसार की सोलह पटरानियों और १०१ पुत्रों का उल्लेख है। पुत्रों में केवल तीन के नामोल्लेख हैं, वे हैं - सुसीम जो सबसे बड़ा था, अशोक और तिष्य। तिष्य अशोक का सहोदर भाई और सबसे छोटा था। एक दिन धर्मा को स्वप्न आया कि उसका बेटा एक बहुत बड़ा सम्राट बनेगा। उसके बाद उसे राजा बिन्दुसार ने अपनी रानी बना लिया। चूँकि धर्मा क्षत्रिय कुल से नहीं थी, अतः उसको कोई विशेष स्थान राजकुल में प्राप्त नहीं था। 

सम्राट अशोक की विलक्षण प्रतिभा की वजह से ही वे बेहद कम उम्र में ही अपने पिता के राजकाज को संभालने लगे थे। वे अपनी प्रजा का भी बेहद ख्याल रखते थे। इसी वजह से वे अपने प्रजा के चहेते शासक भी थे। वहीं सम्राट अशोक की विलक्षण प्रतिभा और अच्छे सैन्य गुणों की वजह से उनके पिता बिन्दुसार भी उनसे बेहद प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने सम्राट अशोक को बेहद कम उम्र में ही मौर्य वंश की राजगद्दी सौंप दी थी।

कलिंग युद्ध में महान परिवर्तन 

  •  261 ईसापूर्व  में भारतीय इतिहास के सबसे शक्तिशाली और ताकतवर योद्धा सम्राट अशोक ने अपने मौर्य सम्राज्य का विस्तार करने के लिए कलिंग (वर्तमान ओडिशा) राज्य पर आक्रमण कर दिया 
  •  तेरहवें शिलालेख के अनुसार कलिंग युद्ध में १ लाख ५० हजार व्यक्‍ति बन्दी बनाकर निर्वासित कर दिए गये, १ लाख लोगों की हत्या कर दी गयी। सम्राट अशोक ने भारी नरसंहार को अपनी आँखों से देखा
  •  इस तरह सम्राट अशोक कलिंग पर अपना कब्जा जमाने वाले मौर्य वंश के सबसे पहले शासक तो बन गए, लेकिन इस युध्द में हुए भारी रक्तपात ने उन्हें हिलाकर रख दिया।
  • कलिंग युद्ध ने सम्राट अशोक के हृदय में महान परिवर्तन कर दिया। उनका हृदय मानवता के प्रति दया और करुणा से उद्वेलित हो गया। उन्होंने युद्धक्रियाओं को सदा के लिए बन्द कर देने की प्रतिज्ञा की। यहाँ से आध्यात्मिक और धम्म विजय का युग शुरू हुआ। उन्होंने महान बौद्ध धर्म को अपना धर्म स्वीकार किया।
  • दिव्यादान के अनुसार सम्राट अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित करने का श्रेय उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु को जाता है। 

अशोक चक्र

भारत का राष्ट्रीय चिह्न ‘अशोक चक्र’ तथा शेरों की ‘त्रिमूर्ति’ भी अशोक महान की ही देंन है। ये कृतियां अशोक निर्मित स्तंभों और स्तूपों पर अंकित हैं। सम्राट अशोक का अशोक चक्र जिसे धर्म चक्र भी कहा जाता है, ‘त्रिमूर्ति’ सारनाथ (वाराणसी) के बौध्द स्तूप के स्तंभों पर निर्मित शिलामूर्तियों की प्रतिकृति है।

 मृत्यु

सम्राट अशोक ने करीब 40 सालों तक मौर्य वंश का शासन संभाला। करीब 232 ईसापूर्ऩ के आसपास उनकी मौत हो गई। ऐसा माना जाता है कि सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य वंश का सम्राज्य करीब 50 सालों तक चला।

सम्राट अशोक के बारे में

  • सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य था। 
  • सम्राट अशोक भारतीय इतिहास के एक ऐसे य़ोद्धा थे, जो अपने जीवनकाल में कभी हार का सामना नहीं किया।
  • सम्राट अशोक ने अपने सिद्धांतों को धम्म नाम दिया था।
  • अशोक काल में उकेरा गया प्रतीतात्मक चिह्न, जिसे हम 'अशोक चिह्न' के नाम से भी जानते हैं, आज भारत का राष्ट्रीय चिह्न है। बौद्ध धर्म के इतिहास में गौतम बुद्ध के पश्चात् सम्राट अशोक का ही स्थान आता है।
  • सम्राट अशोक को उनके अदभुत साहस, पराक्रम, निडरता और निर्भीकता की वजह  से अशोक महान के नाम से पुकारा जाता था। इसके अलावा उन्हें प्रियदर्शी एवं देवानाम्प्रिय आदि नामों भी संबोधित किया जाता था। सम्राट अशोक एक ऐसे शासक थे
  • सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है - ‘सम्राटों का सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है
  •  मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज्य किया है तथा उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तानईरान तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का संपूर्ण भारतपाकिस्तानअफ़ग़ानिस्ताननेपालबांग्लादेशभूटानम्यान्मार के अधिकांश भूभाग पर था, यह विशाल साम्राज्य उस समय तक से आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है।
  • चोरी और लूटपाट की घटानाएं बिलकुल ही बंद हो गईं। अशोक घोर मानवतावादी थे। वह रात-दिन जनता की भलाई के लिए काम  किया करते थे। उन्हें विशाल साम्राज्य के किसी भी हिस्से में होने वाली घटना की जानकारी रहती थी।
  • धर्म के प्रति कितनी आस्था थी, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वह बिना एक हजार ब्राम्हणों को भोजन कराए स्वयं कुछ नहीं खाते थे, कलिंग युध्द अशोका के जीवन का आखरी युध्द था, जिससे उनका जीवन ही बदल गया था।
  • भारतीय इतिहास के अद्धितीय शासक अशोक ने लोगों को शिक्षा के महत्व को समझाया एवं इसका जमकर प्रचार-प्रसार भी किया, आपको बता दें कि उन्होंने अपने जीवनकाल में 20 से ज्यादा विश्वविद्यालयों की स्थापना की थी।


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