राजपूत

By ku.pawan singh sisodiya - अक्तूबर 03, 2020

 राजपूत

>> एक परिचय <<

rajputana
    
rajasthan se pehle rajputana tha


राजपूतों की उत्पत्ति


राजपूत शब्द की सर्वप्रथम उत्पत्ति 6ठी शताब्दी ईस्वी में हुई थी. राजपूतों ने 6ठी शताब्दी ईस्वी से 12वीं सदी के बीच भारतीय इतिहास में एक प्रमुख स्थान प्राप्त किया था. 


"राजपूत" शब्द की व्युत्पत्ति

'महाभारत', 'तैत्रेय ब्राह्मण' तथा कालिदास की 'रघुवंश' काव्यकृति मे इन शब्दों का प्रयोग समानार्थक रुप में हुआ है। डॉ० गौरीशंकर प्रसाद ओझा ने 'राजपुत्र' शब्द का उल्लेख कौटिल्य के अर्थशास्र, कालिदास के 'मालविकाग्निमित्र', अश्वघोष के 'सौंदरानंद' तथा बाणभ के 'हर्षचरित' एवं 'कादम्बरी' ग्रन्थों में विभिन्न अर्थों में किया जाना बतलाया है। कौटिल्य ने राजा के पुत्रों के लिए तथा कालिदास व अश्वघोष ने सामन्तों के पुत्रों के अर्थ में राजपुत्र शब्द का प्रयोग किया है। ह्मवेनसांग ने यात्रावर्णन में राजाओं को राजपुत्र के रुप में उल्लेख न कर उन्हें क्षत्रिय माना है। कल्हण की 'राजतरंगिनी' में राजपुत्र शब्द का प्रयोग भूस्वामियों के लिए किया गया है किन्तु उन्हें राजपूतों के ३६ वंशों से सम्बन्धित माना है। इससे यह तथ्य स्पष्ट होता है कि १२वीं शताब्दी के आरंभ में राजपुत्र या राजपूत वंश एक जाति के रुप में अस्तित्व में आ गया था। महाभारत काल तक राजपुत्र, राजन्य तथा क्षत्रिय समानार्थक शब्द थे किन्तु बाद में राजपुत्र तथा क्षत्रियों में विभेद किया जाने लगा।

प्राचीन क्षत्रियों की संतान

  • डॉ गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ( पुस्तक राजपूताने का प्राचीन इतिहास 1925 ईं॰ ) के अनुसार राजपूत प्राचीन वैदिक क्षत्रियों की संतान थे ।
  • सी एम बैद्य ने भी ओझा का समर्थन करते हुए, राजपूतों को वैदिक क्षत्रियों की संतान कहा है
  • नद्धहरण से प्राप्त एक शिलालेख के अनुसार महाकाव्य काल के राम व कृष्ण क्षत्रिय थे अत: राजपूत भी वैदिक, आर्यों की संतान है । मनुस्मृति में राजपूतों को ब्रह्मा की संतान बताया है ।
  • ऋग्वेद के दसवें मण्डल के पुरूष सूक्त में राजपूतों को ब्रह्मा की भुजाओं से उत्पन्न बताया है ।

सूर्यवंशी व चंद्रवंशी

  • श्री जगदीश सिंह गहलोत के अनुसार राजपूतों के राजवंश वैदिक व पौराणिक काल में राजन्य, क्षत्रिय आदि नाम से प्रसिद्ध सूर्य व चंद्रवंशी क्षत्रियों की संतान थे । यह न तो विदेशी है और न ही अनार्यों के वंशज थे 
  • डॉ. दशरथ शर्मा ने ( पुस्तक राजस्थान थ्रू द एजेज ) राजपूतों को सूर्यवंशी व चंद्रवंशी बताया है ।
  • अग्निपुराण के अनुसार चंद्रवंशी कृष्ण व अर्जुन, सूर्यवंशी राम व लवकुश के वंशज ही राजपूत थे ।
  • हर्षनाथ अभिलेख ( सीकर ) में चौहानों को सूर्यवंशी बताया है ।
  • वंशावलियों में राठौड़ों को सूर्यवंशी, यादवों व भाटियों को चंद्रवंशी बताया है ।
  • मिश्रित उत्पति का सिध्दांत - डॉ. डी पी. चटोपाध्याय के अनुसार राजपूत मिश्रित जातियों के संतान थे 

राजपूतों की उत्पत्ति से संबंधित विभिन्न सिद्धान्त

  • अग्निकुल सिद्धान्त
  1. सर्वप्रथम चंदबरदाई ( पृथ्वीराज रांसौ ) 
  2. मुहणौत नैणसी ( मारवाड़रां परगना री विगत ) 
  3. सूर्यमल्लमिश्रण ( वंश भास्कर )
  4. हम्मीर रासौ ( जोधराज )
  5. पद्मनाभ (नवसहंसाक चरित ) 
  • विदेशी सिद्धान्त 
  1. कर्नल टॉड शक व सीथियन
  2. बी. ए. स्मिथ हुण
  3. कनिंघम यू ची कुषाण
  4. कैनेडी ईरानी
  5. विलियम कुक शक, हुण, कुषाण
  6. डॉ. ईश्वरी प्रसाद विदेशी
  7. डी. आर. भंडारकर विदेशी ब्राह्मण
  8. स्मिथ प्राचीन आदिम जातियों (गौंड, खखार, भर के वंशज)
  • ब्राह्मण सिद्धान्त
  1. डॉ. भंडारकर विदेशी ब्राह्मण - 1. मण्डोर, जोधपुर अभिलेख के आधार पर  2. बिजौलिया अभिलेख में बत्सगौत्रीय ब्राह्मण 
  2. डॉ. गोपीनाथ शर्मा (नागर जाति के ब्राह्मण) 
  3. डॉ. गौरीशंकर ओझा  (कुंभा रसिक प्रिया) 
  • सूर्यवंशी/चंद्रवंशी सिध्दांत 
  1. श्री जगदीश गहलोत (राजपूताने का इतिहास)
  2. डॉ. दशरथ शर्मा (राजस्थान थ्रू द एजेज)
  3. अग्नि पुराण के अनुसार
  4. हर्षनाथ अभिलेख सीकर
  5. हम्मीर महाकाव्य
  6. विभिन्न वंशावलियों में 

विदेशी सिद्धान्त एक 'मिथ्या' ( झूठ )

डॉ० गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ने विदेशी उत्पत्ति को अस्वीकार किया है। जिन रीति - रिवाजों के आधार पर राजपूतों और शकों का साम्य किया गया है वे रीति - रिवाज वैदिक काल तथा पौराणिक काल में भी भारत में विद्यमान थे। डॉ० ओझा ने अभिलेखों के आधार पर तथ्य प्रकट किया है कि मौर्य और नन्दवंश के पतन के बाद भी सातवीं सदी तक क्षत्रियों का अस्तित्व था। द्वितीय शताब्दी के राजा खारवेल के उदयगिरी - लेख में 'कुसंब जाति के क्षत्रियों' का उल्लेख है, इसी अवधि के नासिक की पाण्डव गुहा लेख में 'उत्तम भाद्रक्षत्रियों' का वर्णन है, गिरिनार पर्वत -लेख में 'यौधेयों' को क्षत्रिय कहा गया है तथा तीसरी सदी के नागार्जुन कोंड - लेख में इक्ष्वाकुवंशीय राजाओं का उल्लेख है।

राजपूत गोत्र एवं वंशावली सूची

 

“दस रवि से दस चन्द्र से, बारह ऋषिज प्रमाण,
चार हुतासन सों भये  , कुल छत्तिस वंश प्रमाण
भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान
चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण.”


अर्थ:-

दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है।


  • सूर्य वंश की दस शाखायें:-

  1. कछवाह
  2. राठौड
  3. बडगूजर
  4. सिकरवार
  5. सिसोदिया 
  6. गहलोत 
  7. गौर
  8. गहलबार 
  9. रेकबार 
  10. जुनने

  • चन्द्र वंश की दस शाखायें:-

  1. जादौन
  2. भाटी
  3. तोमर
  4. चन्देल
  5. छोंकर
  6. होंड
  7. पुण्डीर
  8. कटैरिया
  9. स्वांगवंश
  10. वैस

  • अग्निवंश की चार शाखायें:-

  1. चौहान
  2. सोलंकी
  3. परिहार 
  4. पमार

  • ऋषिवंश की बारह शाखायें:-

  1. सेंगर
  2. दीक्षित
  3. दायमा
  4. गौतम
  5. अनवार (राजा जनक के वंशज)
  6. विसेन
  7. करछुल
  8. हय
  9. अबकू तबकू
  10. कठोक्स 
  11. द्लेला
  12. बुन्देला

  • चौहान वंश की चौबीस शाखायें:-

  1. हाडा
  2. खींची
  3. सोनीगारा
  4. पाविया
  5. पुरबिया
  6. संचौरा
  7. मेलवाल
  8. भदौरिया
  9. निर्वाण 
  10. मलानी 
  11. धुरा 
  12. मडरेवा 
  13. सनीखेची 
  14. वारेछा 
  15. पसेरिया 
  16. बालेछा 
  17. रूसिया 
  18. चांदा
  19. निकूम 
  20. भावर 
  21. छछेरिया 
  22. उजवानिया 
  23. देवडा 
  24. बनकर.

क्षत्रिय जातियो की सूची


क्रमांकनामगोत्रवंशस्थान और जिला
१.सूर्यवंशीभारद्वाजसूर्यबुलन्दशहर आगरा मेरठ अलीगढ
२.गहलोतकश्यप, बैजवापेडसूर्यमेवाड़ और पूर्वी जिले
३.सिसोदियाबैजवापेडगहलोतमहाराणा उदयपुर स्टेट
४.कछवाहागौतम,वशिष्ठ,मानवसूर्यमहाराजा जयपुर
५.राठौडगौतम,कश्यप,भारद्वाज,शान्डिल्य,अत्रिगहरवारमहाराजा जोधपुर ,बीकानेर,किशनगढ़ और पूर्व और मालवा
६.सोमवंशीअत्रयचन्द्रप्रतापगढ और जिला हरदोई
७.यदुवंशीअत्रयचन्द्रराजकरौली राजपूताने में
८.भाटीअत्रयजादौनमहारजा जैसलमेर राजपूताना
९.जाडेचाअत्रययदुवंशीमहाराजा कच्छ भुज
१०.जादवाअत्रयजादौनशाखा अवा. कोटला ऊमरगढ आगरा
११.तोमरअत्रय, व्याघ्र, गार्गेयचन्द्रपाटन के राव तंवरघार जिला ग्वालियर
१२.कटियारव्याघ्रतोंवरधरमपुर का राज और हरदोई
१३.पालीवारव्याघ्रचन्द्रगोरखपुर
१४.सत्पोखरियाभारद्वाजराठौड(चाँपावत)मऊ जिला घोसी, इंदारा
१५.परिहार, वरगाहीकौशल्य, कश्यपअग्निबांदा जिला, रीवा राज्य में बघेलखंड
१६.तखीकौशल्यपरिहारपंजाब कांगडा जालंधर जम्मू में
१७.पंवारवशिष्ठअग्निमालवा मेवाड धौलपुर पूर्व मे बलिया
१८.सोलंकीभारद्वाजअग्निराजपूताना मालवा सोरों जिला एटा
१९.चौहानवत्सअग्निराजपूताना पूर्व और सर्वत्र
२०.हाडावत्सचौहानकोटा बूंदी और हाडौती देश
२१.खींचीवत्सचौहानखींचीवाडा मालवा ग्वालियर
२२.भदौरियावत्सचौहाननौगंवां पारना आगरा इटावा गालियर
२३.देवडावत्सचौहानराजपूताना सिरोही राज
२४.शम्भरीवत्सचौहाननीमराणा रानी का रायपुर पंजाब
२५.बच्छगोत्रीवत्सचौहानप्रतापगढ सुल्तानपुर
२६.राजकुमारवत्सचौहानदियरा कुडवार फ़तेहपुर जिला
२७.पवैयावत्सचौहानग्वालियर
२८.गौर,गौडभारद्वाजसूर्यशिवगढ रायबरेली कानपुर लखनऊ
२९.वैसभारद्वाजसूर्यआजमगढ उन्नाव रायबरेली मैनपुरी पूर्व में
३०.गहरवारकश्यप, भारद्वाजसूर्यमाडा, हरदोई, वनारस, उन्नाव, बांदा पूर्व
३१.सेंगरगौतमब्रह्मक्षत्रियजगम्बनपुर भरेह इटावा जालौन
३२.कनपुरियाभारद्वाजब्रह्मक्षत्रियपूर्व में राजाअवध के जिलों में हैं
३३.बिसेनअत्रय,वत्स,भारद्वाज,पाराशर,शान्डिल्यब्रह्मक्षत्रियगोरखपुर गोंडा प्रतापगढ महराजगंज (निचलौल के उत्तर क्षेत्र के समीप) हैं
३४.निकुम्भवशिष्ठ,भारद्वाजसूर्यमऊ गोरखपुर आजमगढ हरदोई जौनपुर
३५.श्रीनेतभारद्वाजनिकुम्भगाजीपुर बस्ती गोरखपुर
३६.कटहरियावशिष्ठ्याभारद्वाज,सूर्यबरेली बंदायूं मुरादाबाद शहाजहांपुर
३७.वाच्छिलअत्रयवच्छिलचन्द्रमथुरा बुलन्दशहर शाहजहांपुर
३८.बढगूजरवशिष्ठसूर्यअनूपशहर एटा अलीगढ मैनपुरी मुरादाबाद हिसार गुडगांव जयपुर
३९.झालामरीच, कश्यप, मार्कण्डेचन्द्रधागधरा मेवाड झालावाड कोटा
४०.गौतमगौतमब्रह्मक्षत्रियराजा अर्गल फ़तेहपुर
४१.रैकवारभारद्वाजसूर्यबहरायच सीतापुर बाराबंकी
४२.करचुल हैहयकृष्णात्रेयचन्द्रबलिया फ़ैजाबाद अवध
४३.चन्देलचान्द्रायनचन्द्रवंशीगिद्धौर ,कानपुर, फ़र्रुखाबाद, बुन्देलखंड, पंजाब, गुजरात
४४.जनवारकौशल्यचन्द्रवंशीबलरामपुर अवध के जिलों में
४५.बहेलियाभारद्वाज,वैस (उप जाति सिसोदिया )की गोद सिसोदियारायबरेली बाराबंकी
४६.दीत्ततकश्यपसूर्यवंश की शाखाउन्नाव, बस्ती, प्रतापगढ, जौनपुर, रायबरेली ,बांदा
४७.सिलारशौनिकचन्द्रसूरत राजपूतानी
४८.सिकरवारभारद्वाज, सांक्रित्यनबढगूजरग्वालियर, आगरा, गाजीपुर और उत्तरप्रदेश में
४९.सुरवारगर्गसूर्यकठियावाड में
५०.सुर्वैयावशिष्ठयदुवंशकाठियावाड
५१.मोरीब्रह्मगौतमसूर्यमथुरा ,आगरा ,धौलपुर
५२.टांक (तत्तक)शौनिकनागवंशमैनपुरी और पंजाब
५३.गुप्तगार्ग्यचन्द्रअब इस वंश का पता नही है
५४.कौशिककौशिकचन्द्रबलिया, आजमगढ, गोरखपुर
५५.भृगुवंशीभार्गवब्रह्मक्षत्रियवनारस, बलिया, आजमगढ, गोरखपुर
५६.गर्गवंशीगर्गब्रह्मक्षत्रियआजमगढ, नरसिंहपुर सुल्तानपुर,अवध,बस्ती,फैजाबाद
५७.पडियारिया,देवल,सांकृतसामब्रह्मक्षत्रियराजपूताना
५८.ननवगकौशिकचन्द्रजौनपुर जिला
५९.वनाफ़रपाराशर,कश्यपचन्द्रबुन्देलखन्ड बांदा वनारस
६०.जैसवारकश्यपयदुवंशीमिर्जापुर एटा मैनपुरी
६१.चौलवंशभारद्वाजसूर्यदक्षिण मद्रास तमिलनाडु कर्नाटक में
६२.निमवंशीकश्यपसूर्यसंयुक्त प्रांत
६३.वैनवंशीवैन्यसोमवंशीमिर्जापुर
६४.दाहिमागार्गेयब्रह्मक्षत्रियकाठियावाड राजपूताना
६५.पुण्डीरकपिल, पुलस्त्यब्रह्मक्षत्रियपंजाब, गुजरात, रींवा, यू.पी.
६६.तुलवाआत्रेयचन्द्रराजाविजयनगर
६७.कटोचकश्यपचन्द्रराजानादौन कोटकांगडा
६८.चावडा,पंवार,चोहान,वर्तमान कुमावतवशिष्ठपंवार की शाखामलवा रतलाम उज्जैन गुजरात मेवाड
६९.अहवनवशिष्ठचावडा,कुमावतखेरी हरदोई सीतापुर बारांबंकी
७०.डौडियावशिष्ठपंवार शाखाबुलंदशहर मुरादाबाद बांदा मेवाड गल्वा पंजाब
७१.गोहिलबैजबापेणगहलोत शाखाकाठियावाड
७२.बुन्देलाकश्यपगहरवारशाखाबुन्देलखंड के रजवाडे
७३.काठीकश्यपगहरवारशाखाकाठियावाड झांसी बांदा
७४.जोहियापाराशरचन्द्रपंजाब देश मे
७५.गढावंशीकांवायनचन्द्रगढावाडी के लिंगपट्टम में
७६.मौखरीअत्रयचन्द्रप्राचीन राजवंश था
७७.लिच्छिवीकश्यपसूर्यप्राचीन राजवंश था
७८.बाकाटकविष्णुवर्धनसूर्यअब पता नहीं चलता है
७९.पालकश्यपसूर्ययह वंश सम्पूर्ण भारत में बिखर गया है
८०.सैनअत्रयब्रह्मक्षत्रिययह वंश भी भारत में बिखर गया है
८१.कदम्बमान्डग्यब्रह्मक्षत्रियदक्षिण महाराष्ट्र मे हैं
८२.पोलचभारद्वाजब्रह्मक्षत्रियदक्षिण में मराठा के पास में है
८३.बाणवंशकश्यपअसुरवंशश्री लंका और दक्षिण भारत में,कैन्या जावा में
८४.काकुतीयभारद्वाजचन्द्र,प्राचीन सूर्य थाअब पता नही मिलता है
८५.सुणग वंशभारद्वाजचन्द्र,पाचीन सूर्य था,अब पता नही मिलता है
८६.दहियागौतमब्रह्मक्षत्रियमारवाड में जोधपुर
८७.जेठवाकश्यपहनुमानवंशीराजधूमली काठियावाड
८८.मोहिलवत्सचौहान शाखामहाराष्ट्र मे है
८९.बल्लाभारद्वाज,कश्यपसूर्यकाठियावाड मे मिलते हैं
९०.डाबीवशिष्ठयदुवंशराजस्थान
९१.खरवडवशिष्ठयदुवंशमेवाड उदयपुर
९२.सुकेतभारद्वाजगौड की शाखापंजाब में पहाडी राजा
९३.पांड्यअत्रयचन्दअब इस वंश का पता नहीं
९४.पठानियापाराशरवनाफ़रशाखापठानकोट राजा पंजाब
९५.बमटेलाशांडल्यविसेन शाखाहरदोई फ़र्रुखाबाद
९६.बारहगैयावत्सचौहानगाजीपुर
९७.भैंसोलियावत्सचौहानभैंसोल गाग सुल्तानपुर
९८.चन्दोसियाभारद्वाजवैससुल्तानपुर
९९.चौपटखम्बकश्यपब्रह्मक्षत्रियजौनपुर
१००.धाकरेभारद्वाज(भृगु)ब्रह्मक्षत्रियआगरा मथुरा मैनपुरी इटावा हरदोई बुलन्दशहर
१०१.धन्वस्तयमदाग्निब्रह्मक्षत्रियजौनपुर आजमगढ वनारस
१०२.धेकाहाकश्यपपंवार की शाखाभोजपुर शाहाबाद
१०३.दोबर(दोनवार)वत्स या कश्यपब्रह्मक्षत्रियगाजीपुर बलिया आजमगढ गोरखपुर
१०४.हरद्वारभार्गवचन्द्र शाखाआजमगढ
१०५.जायसकश्यपराठौड की शाखारायबरेली मथुरा
१०६.जरोलियाव्याघ्रपदचन्द्रबुलन्दशहर
१०७.जसावतमानव्यकछवाह शाखामथुरा आगरा
१०८.जोतियाना(भुटियाना)मानव्यकश्यप,कछवाह शाखामुजफ़्फ़रनगर मेरठ
१०९.घोडेवाहामानव्यकछवाह शाखालुधियाना होशियारपुर जालन्धर
११०.कछनियाशान्डिल्यब्रह्मक्षत्रियअवध के जिलों में
१११.काकनभृगुब्रह्मक्षत्रियगाजीपुर आजमगढ
११२.कासिबकश्यपकछवाह शाखाशाहजहांपुर
११३.किनवारकश्यपसेंगर की शाखापूर्व बंगाल और बिहार में
११४.बरहियागौतमसेंगर की शाखापूर्व बंगाल और बिहार
११५.लौतमियाभारद्वाजबढगूजर शाखाबलिया गाजी पुर शाहाबाद
११६.मौनसमौनकछवाह शाखामिर्जापुर प्रयाग जौनपुर
११७.नगबकमानव्यकछवाह शाखाजौनपुर आजमगढ मिर्जापुर
११८.पलवारव्याघ्रसोमवंशी शाखाआजमगढ फ़ैजाबाद गोरखपुर
११९.रायजादेपाराशरचन्द्र की शाखापूर्व अवध में
१२०.सिंहेलकश्यपसूर्यआजमगढ परगना मोहम्दाबाद
१२१.तरकडकश्यपदिक्खित शाखाआगरा मथुरा
१२२.तिसहियाकौशल्यपरिहारइलाहाबाद परगना हंडिया
१२३.तिरोताकश्यपतंवर की शाखाआरा शाहाबाद भोजपुर
१२४.उदमतियावत्सब्रह्मक्षत्रियआजमगढ गोरखपुर
१२५.भालेवशिष्ठपंवारअलीगढ
१२६.भालेसुल्तानभारद्वाजवैस की शाखारायबरेली लखनऊ उन्नाव
१२७.जैवारव्याघ्रतंवर की शाखादतिया झांसी बुन्देलखंड
१२८.सरगैयांव्याघ्रसोमवंशहमीरपुर बुन्देलखण्ड
१२९.किसनातिलअत्रयतोमरशाखादतिया बुन्देलखंड
१३०.टडैयाभारद्वाजसोलंकीशाखाझांसी ललितपुर बुन्देलखंड
१३१.खागरअत्रययदुवंश शाखाजालौन हमीरपुर झांसी
१३२.पिपरियाभारद्वाजगौडों की शाखाबुन्देलखंड
१३३.सिरसवारअत्रयचन्द्र शाखाबुन्देलखंड
१३४.खींचरवत्सचौहान शाखाफ़तेहपुर में असौंथड राज्य
१३५.खातीकश्यपदिक्खित शाखाबुन्देलखंड,राजस्थान में कम संख्या होने के कारण इन्हे बढई गिना जाने लगा
१३६.आहडियाबैजवापेणगहलोतआजमगढ
१३७.उदावतगौतमराठौडपाली
१३८.उजैनेश्रवणपंवारआरा डुमरिया
१३९.अमेठियाभारद्वाजगौडअमेठी लखनऊ सीतापुर
१४०.दुर्गवंशीकश्यपदिक्खितराजा जौनपुर राजाबाजार
१४१.बिलखरियाकश्यपदिक्खितप्रतापगढ उमरी राजा
१४२.डोगराकश्यपसूर्यकश्मीर राज्य और बलिया
१४३.निर्वाणवत्सचौहानराजपूताना (राजस्थान)
१४४.जाटूव्याघ्रतोमरराजस्थान,हिसार पंजाब
१४५.नरौनीमानव्यकछवाहाबलिया आरा
१४६.भनवगभारद्वाजकनपुरियाजौनपुर
१४७.गिदवरियावशिष्ठपंवारबिहार मुंगेर भागलपुर
१४८.रक्षेलकश्यपसूर्यरीवा राज्य में बघेलखंड
१४९.कटारियाभारद्वाजसोलंकीझांसी मालवा बुन्देलखंड
१५०.रजवारवत्सचौहानपूर्व मे बुन्देलखंड
१५१.द्वारव्याघ्रतोमरजालौन झांसी हमीरपुर
१५२.इन्दौरियाव्याघ्रतोमरआगरा मथुरा बुलन्दशहर
१५३.छोकरअत्रययदुवंशअलीगढ मथुरा बुलन्दशहर
१५४.जांगडावत्सचौहानबुलन्दशहर पूर्व में झांसी
१५५.शौनकशौनभ्रृगुवंशीइलाहाबाद
१५६.बघेलकश्यप या भारद्वाजसोलंकीरीवा राज्य में बघेलखंड
१५७.दिक्खितकश्यपसूर्यबुन्देलखंड
१५८.बंधलगोतीभारद्वाजब्रह्मक्षत्रियअमेठी,सुल्तानपुर
१५९.कलहंसअंगिरसपरिहारप्रतापगढ,बहरायच,गोरखपुर,बस्ती
१६०.बेरुआरभारद्वाजतोमरबलिया,आजमगढ,मऊ

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